क्या करें जब कोई कंपनी आपकी सैलरी रोक ले? Legal Rights for Employees in India

क्या आपने कभी सोचा है कि अगर किसी कंपनी ने अचानक आपकी सैलरी रोक दी तो आप क्या करेंगे? यह समस्या आजकल काफी आम होती जा रही है, खासकर भारत में जहां कई कर्मचारी इस स्थिति से जूझ रहे हैं। सैलरी न मिलने पर न केवल आपकी आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है, बल्कि यह आपके मानसिक तनाव का भी कारण बन सकता है।
भारत में, सैलरी रोके जाने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में लगभग 30% कर्मचारियों ने सैलरी डिले या न मिलने की शिकायत की। यह समस्या छोटे और बड़े दोनों तरह के संगठनों में देखी जा रही है।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपको बताएंगे कि क्या करें जब कोई कंपनी आपकी सैलरी रोक ले और आपके Legal Rights for Employees in India क्या हैं। चाहे आप प्राइवेट सेक्टर में हों या सरकारी नौकरी में, यह गाइड आपको सैलरी रिकवरी और कानूनी कार्रवाई के बारे में पूरी जानकारी देगा। इसके पहले मैंने और भी कई सारी topics के बारे में बताया है ऐसी ही जरुरी information के लिए हमें फॉलो करें।
सैलरी रोके जाने के कारण (Reasons Why Companies Stop Salary)
कंपनियों द्वारा सैलरी रोके जाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। यह समस्या कर्मचारियों के लिए न केवल आर्थिक रूप से मुश्किलें पैदा करती है, बल्कि उनके मनोबल को भी प्रभावित करती है। नीचे कुछ संभावित कारण दिए गए हैं, जिनकी वजह से कंपनियां सैलरी रोक सकती हैं, साथ ही इन कारणों को समझाने के लिए उदाहरण भी दिए गए हैं:
1. वित्तीय समस्याएं (Financial Crisis)
कंपनियों के लिए वित्तीय संकट सैलरी रोके जाने का सबसे आम कारण है। जब कंपनी को पर्याप्त राजस्व (Revenue) नहीं मिलता या उसके पास नकदी प्रवाह (Cash Flow) की कमी होती है, तो वह कर्मचारियों को सैलरी देने में असमर्थ हो सकती है।
उदाहरण:
- COVID-19 महामारी के दौरान, कई छोटे और मध्यम व्यवसाय (SMEs) को भारी नुकसान हुआ। इसके कारण, कई कंपनियों ने कर्मचारियों की सैलरी रोक दी या कटौती कर दी।
- स्टार्टअप कंपनियां, जिन्हें फंडिंग नहीं मिल पाती, अक्सर वित्तीय संकट का सामना करती हैं और सैलरी देने में देरी करती हैं।
2. कर्मचारी और कंपनी के बीच विवाद (Disputes)
कभी-कभी, कर्मचारी और कंपनी के बीच विवाद होने के कारण भी सैलरी रोक दी जाती है। यह विवाद कर्मचारी के प्रदर्शन, अनुबंध (Contract), या काम की शर्तों को लेकर हो सकता है।
उदाहरण:
- यदि कोई कर्मचारी कंपनी की नीतियों का उल्लंघन करता है (जैसे गोपनीयता समझौता तोड़ना), तो कंपनी उसकी सैलरी रोक सकती है।
- कुछ मामलों में, कर्मचारी और कंपनी के बीच अनुबंध की शर्तों को लेकर विवाद होता है, जिसके कारण सैलरी रोक दी जाती है।
3. प्रदर्शन संबंधी मुद्दे (Performance Issues)
कंपनियां कर्मचारियों के प्रदर्शन (Performance) को लेकर भी सैलरी रोक सकती हैं। यदि कर्मचारी लगातार खराब प्रदर्शन कर रहा है या कंपनी के लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पा रहा है, तो कंपनी उसकी सैलरी रोक सकती है।
उदाहरण:
- एक सेल्स एग्जीक्यूटिव जो लगातार अपने टार्गेट को पूरा नहीं कर पा रहा है, उसकी सैलरी रोक दी जा सकती है।
- कुछ कंपनियां प्रोबेशन पीरियड (Probation Period) के दौरान कर्मचारी की सैलरी रोक सकती हैं, यदि उसका प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है।
4. COVID-19 जैसी आपात स्थितियां (Pandemic Situations)
आपात स्थितियां, जैसे COVID-19 महामारी, कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती हैं। ऐसी स्थितियों में, कंपनियों को अपने व्यवसाय को चलाने में मुश्किल होती है, और वे सैलरी देने में असमर्थ हो सकती हैं।
उदाहरण:
- COVID-19 के दौरान, कई कंपनियों ने कर्मचारियों की सैलरी में कटौती की या उसे रोक दिया, क्योंकि उन्हें राजस्व की कमी का सामना करना पड़ा।
- ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर की कंपनियों ने महामारी के दौरान सैलरी रोक दी, क्योंकि उनका व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो गया था।
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कर्मचारियों के कानूनी अधिकार (Legal Rights for Employees in India)
भारत में, कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कई श्रम कानून बनाए गए हैं। यदि किसी कंपनी ने आपकी सैलरी रोक दी है, तो आपके पास कानूनी अधिकार हैं जिनका उपयोग करके आप अपनी सैलरी प्राप्त कर सकते हैं। नीचे भारतीय श्रम कानून के तहत कर्मचारियों के मुख्य अधिकार और सैलरी रोके जाने पर क्या करें, इसकी जानकारी दी गई है।
1. भुगतान वेतन अधिनियम, 1936 (Payment of Wages Act, 1936)
यह अधिनियम कर्मचारियों को समय पर सैलरी प्राप्त करने का अधिकार देता है। इसके तहत नियम हैं:
- समयसीमा: कंपनी को हर महीने की 7 तारीख तक सैलरी का भुगतान करना अनिवार्य है (यदि कर्मचारियों की संख्या 1,000 से कम है)। 1,000 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों के लिए यह समयसीमा 10 दिन है।
- कटौती की सीमा: कंपनी सैलरी से केवल निर्धारित कटौती (जैसे PF, टैक्स) कर सकती है। अनधिकृत कटौती गैरकानूनी है।
- कानूनी कार्रवाई: यदि सैलरी नहीं दी जाती है, तो कर्मचारी श्रम अधिकारी के पास शिकायत दर्ज कर सकता है।
यदि किसी कर्मचारी की सैलरी 3 महीने से रोकी गई है, तो वह Payment of Wages Act के तहत शिकायत कर सकता है और अपनी सैलरी वसूल सकता है।
2. कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम (ESI Act)
ESI Act उन कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य और बीमा लाभ प्रदान करता है, जिनकी मासिक आय ₹21,000 से कम है। इसके तहत:
- स्वास्थ्य सुविधाएं: कर्मचारी और उसके परिवार को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
- विकलांगता लाभ: यदि कर्मचारी बीमारी या चोट के कारण काम करने में असमर्थ है, तो उसे वित्तीय सहायता मिलती है।
- सैलरी रोके जाने पर: यदि कंपनी ESI योगदान नहीं करती है, तो कर्मचारी ESI कार्यालय में शिकायत कर सकता है।
यदि किसी कर्मचारी की सैलरी रोक दी गई है और उसे चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है, तो वह ESI सुविधाओं का लाभ उठा सकता है।
3. श्रम संहिता (Labour Codes)
2020 में, भारत सरकार ने 29 श्रम कानूनों को 4 श्रम संहिताओं (Labour Codes) में समेकित किया है। इनमें सैलरी से जुड़े प्रावधान शामिल हैं:
- मजदूरी का परिभाषा: अब मजदूरी में बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता (DA), और अन्य भत्ते शामिल हैं।
- सैलरी का भुगतान: कंपनी को सैलरी का भुगतान समय पर करना अनिवार्य है।
- ओवरटाइम भुगतान: यदि कर्मचारी ओवरटाइम काम करता है, तो उसे अतिरिक्त भुगतान मिलना चाहिए।
नए Labour Codes के तहत, यदि कंपनी सैलरी में अनुचित कटौती करती है, तो कर्मचारी श्रम विभाग में शिकायत कर सकता है।
सैलरी रोके जाने पर क्या करें? (Steps to Take When Salary is Stopped)
यदि किसी कंपनी ने आपकी सैलरी रोक दी है, तो घबराएं नहीं। भारतीय कानून कर्मचारियों को उनकी सैलरी प्राप्त करने के लिए कई विकल्प प्रदान करता है। नीचे वे कदम दिए गए हैं, जिन्हें आप सैलरी रोके जाने पर उठा सकते हैं:
चरण 1: कंपनी के साथ संवाद (Communicate with the Company)
सबसे पहले, कंपनी के साथ संवाद करके समस्या का समाधान ढूंढें।
- HR या मैनेजमेंट से बात करें:
- कंपनी के HR डिपार्टमेंट या अपने मैनेजर से संपर्क करें।
- सैलरी रोके जाने का कारण जानें और समस्या का समाधान करने का प्रयास करें।
- लिखित में शिकायत दर्ज करें:
- यदि मौखिक बातचीत से समस्या का समाधान नहीं होता है, तो कंपनी को लिखित में शिकायत दर्ज करें।
- शिकायत पत्र में सैलरी रोके जाने की तारीख, रोकी गई राशि, और समस्या का विवरण शामिल करें।
यदि किसी कर्मचारी की सैलरी 2 महीने से रोकी गई है, तो वह HR को एक ईमेल भेज सकता है, जिसमें सैलरी की मांग और रोके जाने का कारण पूछा जाए।
चरण 2: लिखित नोटिस भेजें (Send a Legal Notice)
यदि कंपनी आपकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं करती है, तो कानूनी नोटिस भेजें।
- वकील या श्रम अधिकारी की मदद लें:
- एक वकील या श्रम अधिकारी की मदद से कंपनी को कानूनी नोटिस भेजें।
- नोटिस में सैलरी का भुगतान करने की मांग करें और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दें।
- समयसीमा दें:
- नोटिस में कंपनी को एक निश्चित समयसीमा (जैसे 15 दिन) दें, जिसके भीतर सैलरी का भुगतान किया जाए।
चरण 3: श्रम अधिकारी से संपर्क करें (Approach Labour Commissioner)
यदि कंपनी नोटिस के बाद भी सैलरी नहीं देती है, तो श्रम विभाग में शिकायत दर्ज करें।
- श्रम अधिकारी से संपर्क करें:
- अपने क्षेत्र के श्रम अधिकारी (Labour Commissioner) से संपर्क करें।
- शिकायत पत्र में सैलरी रोके जाने का विवरण और कंपनी के साथ हुई बातचीत का विवरण शामिल करें।
- मध्यस्थता (Mediation):
- श्रम अधिकारी कंपनी और कर्मचारी के बीच मध्यस्थता कर सकता है।
- यदि कंपनी गलत है, तो श्रम अधिकारी उसे सैलरी का भुगतान करने के लिए बाध्य कर सकता है।
चरण 4: कोर्ट का रास्ता (Legal Action in Court)
यदि उपरोक्त कदमों से समस्या का समाधान नहीं होता है, तो कोर्ट में केस दर्ज करें।
- सिविल कोर्ट या लेबर कोर्ट में केस दर्ज करें:
- सिविल कोर्ट या लेबर कोर्ट में सैलरी की वसूली के लिए केस दर्ज करें।
- कोर्ट कंपनी को सैलरी का भुगतान करने का आदेश दे सकता है।
- सबूत जमा करें:
- केस दर्ज करते समय, अपने सबूत (जैसे पे स्लिप, ईमेल, नोटिस) कोर्ट में जमा करें।
सैलरी रिकवरी के तरीके (How to Recover Unpaid Salary)
यदि किसी कंपनी ने आपकी सैलरी रोक दी है या अनपेड सैलरी का भुगतान नहीं किया है, तो आप कानूनी तरीकों से अपनी सैलरी रिकवर कर सकते हैं। भारतीय कानून कर्मचारियों को अनपेड सैलरी प्राप्त करने के लिए कई विकल्प प्रदान करता है। नीचे सैलरी रिकवरी के तरीके और कानूनी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया गया है:
1. मजदूरी दावा अधिनियम (Payment of Wages Act, 1936)
यह अधिनियम कर्मचारियों को अनपेड सैलरी का दावा करने का अधिकार देता है।
- कैसे करें दावा?
- कर्मचारी श्रम अधिकारी (Labour Commissioner) के पास शिकायत दर्ज कर सकता है।
- शिकायत में सैलरी रोके जाने का विवरण और सबूत (जैसे पे स्लिप, ईमेल) जमा करें।
- समयसीमा:
- यदि सैलरी 1 साल के भीतर रोकी गई है, तो शिकायत दर्ज की जा सकती है।
- क्या होगा?
- श्रम अधिकारी कंपनी को सैलरी का भुगतान करने का आदेश दे सकता है।
- यदि कंपनी आदेश का पालन नहीं करती है, तो कर्मचारी कोर्ट में केस दर्ज कर सकता है।
2. कंपनी अधिनियम (Companies Act, 2013)
यदि कंपनी वित्तीय संकट के कारण सैलरी नहीं दे पा रही है, तो कंपनी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
- कैसे करें कार्रवाई?
- कर्मचारी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में शिकायत दर्ज कर सकता है।
- NCLT कंपनी को दिवालिया घोषित कर सकता है और कर्मचारियों को उनकी सैलरी का भुगतान सुनिश्चित कर सकता है।
- कर्मचारियों को प्राथमिकता:
- कंपनी के दिवालिया होने की स्थिति में, कर्मचारियों को उनकी सैलरी का भुगतान प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है।
3. कोर्ट केस के दौरान जमा करने योग्य सबूत (Evidence to Submit in Court)
कोर्ट में केस दर्ज करते समय, कर्मचारी को निम्नलिखित सबूत जमा करने चाहिए:
- पे स्लिप (Pay Slips):
- पे स्लिप से सैलरी की राशि और कटौती का पता चलता है।
- नियुक्ति पत्र (Appointment Letter):
- नियुक्ति पत्र से कर्मचारी और कंपनी के बीच अनुबंध की शर्तों का पता चलता है।
- ईमेल और संचार (Emails and Communication):
- कंपनी के साथ हुए संवाद (जैसे सैलरी रोके जाने के बारे में ईमेल) को सबूत के रूप में जमा करें।
- नोटिस और शिकायत पत्र (Notices and Complaint Letters):
- कंपनी को भेजे गए नोटिस और शिकायत पत्र को सबूत के रूप में जमा करें।
- बैंक स्टेटमेंट (Bank Statements):
- बैंक स्टेटमेंट से सैलरी न मिलने का पता चलता है।
सैलरी डिस्प्यूट के लिए वैकल्पिक समाधान (Alternative Solutions for Salary Disputes)
सैलरी डिस्प्यूट एक गंभीर समस्या है, लेकिन इसका समाधान हमेशा कोर्ट या लंबी कानूनी प्रक्रिया के जरिए ही नहीं होता। कई बार वैकल्पिक समाधान (Alternative Solutions) जैसे मध्यस्थता, श्रम विभाग की हस्तक्षेप, और ऑनलाइन शिकायत पोर्टल के जरिए भी समस्या का समाधान किया जा सकता है। ये तरीके तेज, कम खर्चीले, और प्रभावी होते हैं। नीचे इन वैकल्पिक समाधानों के बारे में विस्तार से बताया गया है:
1. मध्यस्थता (Mediation)
मध्यस्थता एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कंपनी और कर्मचारी के बीच एक तटस्थ व्यक्ति (मध्यस्थ) समस्या का समाधान निकालता है।
- कैसे काम करती है मध्यस्थता?
- कर्मचारी और कंपनी दोनों एक मध्यस्थ (Mediator) के सामने अपनी बात रखते हैं।
- मध्यस्थ दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने की कोशिश करता है।
- यदि समझौता हो जाता है, तो इसे लिखित में दर्ज किया जाता है।
- फायदे:
- यह प्रक्रिया तेज और कम खर्चीली होती है।
- दोनों पक्षों के बीच संबंध बने रहते हैं।
2. श्रम विभाग की हस्तक्षेप (Labour Department Intervention)
श्रम विभाग कर्मचारियों और कंपनियों के बीच होने वाले विवादों को सुलझाने में मदद करता है।
- कैसे करें शिकायत?
- कर्मचारी अपने क्षेत्र के श्रम अधिकारी (Labour Commissioner) से संपर्क कर सकता है।
- शिकायत पत्र में सैलरी डिस्प्यूट का विवरण और सबूत (जैसे पे स्लिप, ईमेल) जमा करें।
- श्रम अधिकारी की भूमिका:
- श्रम अधिकारी कंपनी और कर्मचारी के बीच मध्यस्थता कर सकता है।
- यदि कंपनी गलत है, तो श्रम अधिकारी उसे सैलरी का भुगतान करने का आदेश दे सकता है।
3. ऑनलाइन शिकायत पोर्टल (Online Complaint Portals)
भारत सरकार ने कर्मचारियों की शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज करने के लिए कई पोर्टल लॉन्च किए हैं।
- EPFO पोर्टल (Employees’ Provident Fund Organisation):
- यदि कंपनी PF या पेंशन का भुगतान नहीं कर रही है, तो EPFO पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें।
- पोर्टल: https://epfigms.gov.in/
- श्रम मंत्रालय का पोर्टल (Ministry of Labour and Employment):
- इस पोर्टल पर सैलरी डिस्प्यूट, अनपेड वेतन, और अन्य श्रम संबंधी शिकायतें दर्ज की जा सकती हैं।
- पोर्टल: https://labour.gov.in/
- राष्ट्रीय ग्राहक हेल्पलाइन (National Consumer Helpline):
- यदि कंपनी ने सैलरी नहीं दी है, तो आप इस हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
- वेबसाइट: https://consumerhelpline.gov.in/
सैलरी रोके जाने से बचाव के टिप्स (Tips to Avoid Salary Issues)
सैलरी रोके जाने की समस्या से बचने के लिए कर्मचारियों को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। यदि आप नौकरी शुरू करने से पहले और नौकरी के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें, तो आप सैलरी से जुड़ी समस्याओं से बच सकते हैं। नीचे कुछ उपयोगी टिप्स दिए गए हैं:
1. नौकरी शुरू करने से पहले ऑफर लेटर और एग्रीमेंट को ध्यान से पढ़ें
नौकरी शुरू करने से पहले, ऑफर लेटर और एग्रीमेंट को अच्छी तरह से पढ़ें और समझें।
- क्या चेक करें?
- सैलरी की राशि और भुगतान की तारीख।
- कटौती (जैसे PF, टैक्स) के बारे में जानकारी।
- नौकरी की शर्तें और नियम (जैसे नोटिस पीरियड, प्रदर्शन मानक)।
- क्यों जरूरी है?
- यदि कंपनी सैलरी रोकती है, तो आपके पास एग्रीमेंट के आधार पर कानूनी कार्रवाई करने का विकल्प होगा।
2. नियमित रूप से पे स्लिप और बैंक स्टेटमेंट चेक करें
हर महीने अपनी पे स्लिप और बैंक स्टेटमेंट को चेक करें ताकि किसी भी गलती या अनियमितता का पता लगाया जा सके।
- क्या चेक करें?
- सैलरी की राशि और कटौती (जैसे PF, टैक्स) सही है या नहीं।
- सैलरी समय पर मिल रही है या नहीं।
- बैंक स्टेटमेंट में सैलरी का भुगतान दिख रहा है या नहीं।
- क्यों जरूरी है?
- यदि सैलरी में कोई गलती है, तो आप तुरंत कंपनी से संपर्क कर सकते हैं।
3. कंपनी की वित्तीय स्थिति पर नजर रखें
कंपनी की वित्तीय स्थिति (Financial Health) पर नजर रखने से आपको सैलरी रोके जाने की संभावना का पता लग सकता है।
- कैसे जानें कंपनी की वित्तीय स्थिति?
- कंपनी के वार्षिक रिपोर्ट (Annual Reports) और वित्तीय समाचार (Financial News) को पढ़ें।
- कंपनी के कर्मचारियों और पूर्व कर्मचारियों से बात करें।
- कंपनी के बारे में ऑनलाइन समीक्षाएं (Reviews) पढ़ें।
- क्यों जरूरी है?
- यदि कंपनी वित्तीय संकट में है, तो आप समय रहते सतर्क हो सकते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
सैलरी रोके जाने की समस्या किसी भी कर्मचारी के लिए तनावपूर्ण हो सकती है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। भारतीय कानून कर्मचारियों को उनकी सैलरी प्राप्त करने के लिए मजबूत अधिकार प्रदान करता है। यदि किसी कंपनी ने आपकी सैलरी रोक दी है, तो आप कानूनी अधिकारों का उपयोग करके अपनी सैलरी वसूल सकते हैं।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हमने सैलरी रोके जाने के कारण, कर्मचारियों के कानूनी अधिकार, और समस्या का समाधान करने के तरीकों के बारे में विस्तार से चर्चा की है। आपको बस अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना है और उचित कदम उठाना है। याद रखें, आपके पास अपनी सैलरी प्राप्त करने के लिए कानूनी अधिकार हैं, और आपको इनका उपयोग करना चाहिए।
यदि आपके पास इस विषय से जुड़े कोई सवाल हैं, तो नीचे कमेंट करके हमसे पूछें। इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सहकर्मियों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करें ताकि वे भी अपने अधिकारों के बारे में जागरूक हो सकें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1: क्या कंपनी बिना कारण मेरी सैलरी रोक सकती है?
नहीं, भारतीय श्रम कानूनों के अनुसार, कोई भी कंपनी बिना वैध कारण के कर्मचारी की सैलरी नहीं रोक सकती। वेतन न देने पर यह कानूनी उल्लंघन हो सकता है, और कर्मचारी इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
Q2: अगर कंपनी मेरी सैलरी रोक ले तो मुझे क्या करना चाहिए?
सबसे पहले, आपको अपनी कंपनी के HR विभाग या अकाउंट्स टीम से लिखित में कारण पूछना चाहिए। अगर संतोषजनक जवाब न मिले, तो आप लेबर कमिश्नर के पास शिकायत कर सकते हैं या कानूनी सहायता ले सकते हैं।
Q3: क्या भारतीय कानून में सैलरी रोकने पर कोई सख्त नियम हैं?
हाँ, भारतीय वेतन भुगतान अधिनियम, 1936 के तहत, नियोक्ता को समय पर वेतन देना अनिवार्य है। अगर सैलरी रोकने का कोई वैध कारण नहीं है, तो यह कानून का उल्लंघन माना जाएगा।
Q4: क्या मैं कोर्ट में केस कर सकता हूँ अगर मेरी सैलरी रोक ली जाए?
हाँ, आप श्रम न्यायालय (Labour Court) या उपयुक्त कानूनी मंच पर केस कर सकते हैं। इसके लिए पहले आपको श्रम विभाग में शिकायत दर्ज करनी होगी।
Q5: कितने दिनों तक सैलरी न मिलने पर मैं शिकायत कर सकता हूँ?
अगर आपकी सैलरी तय समय सीमा (आमतौर पर महीने की 7 तारीख तक) तक नहीं मिलती, तो आप तुरंत HR से बात करें और फिर कानूनी कार्रवाई की ओर बढ़ सकते हैं।
Q6: अगर मैं प्राइवेट कंपनी में काम करता हूँ, तो भी ये नियम मुझ पर लागू होते हैं?
हाँ, वेतन भुगतान अधिनियम प्राइवेट और सरकारी दोनों क्षेत्रों में लागू होता है। सभी कर्मचारियों को वेतन समय पर देने की जिम्मेदारी नियोक्ता की होती है।
Q7: क्या कंपनी बिना बताए सैलरी काट सकती है?
नहीं, कोई भी कंपनी बिना कर्मचारी की सहमति या कानूनी आधार के वेतन में कटौती नहीं कर सकती। अगर ऐसा किया जाता है, तो आप इसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं।
Q8: सैलरी न मिलने पर कहां शिकायत कर सकते हैं?
आप लेबर कमिश्नर ऑफिस, राज्य श्रम विभाग, या लोक अदालत में शिकायत कर सकते हैं। साथ ही, अगर आप IT या अन्य कॉर्पोरेट सेक्टर में हैं, तो आप श्रम मंत्रालय की ऑनलाइन पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
Q9: क्या कंपनी मेरा फुल एंड फाइनल सेटलमेंट रोक सकती है?
नहीं, कंपनी को आपके अंतिम वेतन (Full & Final Settlement) को निर्धारित समय (आमतौर पर 30 से 45 दिनों के अंदर) में देना होता है। अगर वे ऐसा नहीं करते, तो आप कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
Q10: अगर कंपनी दिवालिया हो जाए तो क्या मेरी सैलरी मिलेगी?
दिवालियापन की स्थिति में, भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के तहत कर्मचारियों के वेतन को प्राथमिकता दी जाती है। आपको जल्द से जल्द अपने बकाया वेतन की मांग करनी चाहिए।